हमारे नए शोध में बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े एक महत्वपूर्ण लेकिन अब तक अनदेखे पहलू के बारे में पता चला है और वह यह है कि दो या इससे अधिक ‘न्यूरोडेवलपमेंटल’ समस्याओं के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
‘न्यूरोडेवलमेंटल’ समस्याएं मस्तिष्क के विकास और कार्यप्रणाली को प्रभावित करती हैं। ये स्थितियां आमतौर पर बचपन में ही दिखाई देती हैं और सीखने, व्यवहार, संचार व सामाजिक कौशल जैसी चीजों को प्रभावित कर सकती हैं।
हमने पाया कि जिन बच्चों में अनेक न्यूरोडेवलपमेंटल समस्याएं जैसे कि ध्यान लगाने में दिक्कत (एडीएचडी), ऑटिज्म, पढ़ने में परेशानी, देरी से विकास, बोलने में समस्या, मस्तिष्क पक्षाघात, मिर्गी, टॉरेट सिंड्रोम और व्यवहार संबंधी समस्याएं होती हैं , उनमें अवसाद की आशंका अधिक होती है।
हमारे निष्कर्षों के स्वास्थ्य सेवाओं और नीतिगत योजना के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। ये इस बात पर ज़ोर देते हैं कि देखभाल की शुरुआत जल्दी हो और वह एकीकृत हो — जहां न्यूरोडेवलपमेंटल, शैक्षिक और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं अलग-अलग काम करने के बजाय आपस में समन्वय के साथ काम करें।
हम देख रहे हैं कि पहले से अधिक बच्चे कई स्थितियों का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा अधिक बच्चों में दो या दो से अधिक न्यूरोडेवलपमेंटल समस्याएं पाई जा रही हैं।
साथ ही, दुनिया भर में बच्चों और युवाओं में अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आम होती जा रही हैं। लगभग नौ प्रतिशत बच्चों और युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य समस्या है।
हालांकि, इस बारे में बहुत कम जानकारी थी कि कई न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियों से पीड़ित बच्चों में ये भावनात्मक कठिनाइयां कितनी बार सामने आती हैं, और क्या ऐसी स्थितियों की संख्या बढ़ने पर इनके होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
इन पैटर्न को समझने से स्वास्थ्य पेशेवरों, स्कूलों और नीति निर्माताओं को सबसे अधिक जोखिम वाले बच्चों की पहचान करने और उन्हें शीघ्र, एकीकृत सहायता प्रदान करने में मदद मिल सकती है।
हमने अमेरिका में एक बड़े, राष्ट्रीय स्तर का परिदृश्य दर्शाने वाले राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस सर्वेक्षण में माता-पिता या देखभाल करने वालों से बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, विकास व पारिवारिक परिस्थितियों के बारे में जानकारी ली गई थी।
हमने तीन से 17 वर्ष की आयु के 2,67,000 से अधिक बच्चों के 2016 से 2023 तक के आंकड़ों को एक साथ रखा।
अभिभावकों से पूछा गया कि क्या उनके बच्चे को कभी दस में से किसी भी न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति का निदान किया गया है।
हमने बच्चों को न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियों की संख्या के आधार पर पांच समूहों में वर्गीकृत किया: कोई एक या कोई नहीं (अर्थात् एकाधिक नहीं), दो, तीन, चार, और पांच या उससे अधिक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियां।
अभिभावकों ने यह भी बताया कि क्या उनके बच्चे को कभी डिप्रेशन (अवसाद) या एंग्ज़ायटी (चिंता) का निदान हुआ है, और यदि हुआ है, तो इन स्थितियों की तीव्रता क्या थी — हल्की, मध्यम या गंभीर।
फिर हमने देखा कि न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियों की संख्या अवसाद या चिंताग्रस्त होने से कैसे संबंधित है।
हमारे निष्कर्ष स्पष्ट और सुसंगत थे।
किसी बच्चे में जितनी अधिक न्यूरोडेवलपमेंटल समस्या होती हैं, उनमें अवसाद और चिंता का जोखिम उतना ही अधिक होता है।
बिना किसी न्यूरोडेवलपमेंटल समस्या वाले बच्चों की तुलना में, दो समस्याओं वाले बच्चों में अवसाद होने की आशंका लगभग 4.7 गुना और चिंता होने की आशंका 5.8 गुना अधिक होती है।
पांच या अधिक न्यूरोडेवलपमेंटल समस्याओं वाले बच्चों में अवसाद होने की आशंका 5.3 गुना जबकि चिंता होने की आशंका 12.9 गुना अधिक थी।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की गंभीरता में भी तेजी से वृद्धि होने का पता चला। कई न्यूरोडेवलपमेंटल समस्याओं वाले बच्चों में हल्के अवसाद या चिंता की तुलना में गंभीर अवसाद या चिंता का अनुभव होने की आशंका कहीं अधिक थी।