नयी दिल्ली, टाटा ट्रस्ट के भीतर जारी खींचतान के बीच शापूरजी पलोनजी समूह के चेयरमैन शापूरजी पलोनजी मिस्त्री ने शुक्रवार को टाटा समूह की मूल कंपनी टाटा संस को शेयर बाजार में सूचीबद्ध किए जाने की मांग दोहराई।
मिस्त्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब टाटा समूह की कंपनियों का नियंत्रण करने वाले ट्रस्ट के विभिन्न ट्रस्टी के बीच विवाद चल रहा है।
मिस्त्री ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने टाटा संस को 30 सितंबर, 2025 तक ऊपरी स्तर के वर्गीकरण में सूचीबद्ध करने की समयसीमा तय की थी। उन्होंने इस निर्देश को गंभीरता और नियामकीय प्रतिबद्धताओं के सम्मान के साथ देखे जाने की जरूरत बताई।
मिस्त्री के मुताबिक, आरबीआई का पैमाना-आधारित नियामकीय ढांचा यह स्पष्ट करता है कि एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) को अपने निवेशकों के हितों के लिए हानिकारक ढंग से काम नहीं करना चाहिए।
मिस्त्री ने कहा कि आरबीआई एक संवैधानिक एवं स्वायत्त संस्था है और यह समानता, न्याय और सार्वजनिक हित के सिद्धांतों के आधार पर निर्णय लेगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि टाटा संस का सार्वजनिक सूचीकरण केवल वित्तीय कदम नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक अपरिहार्यता भी है।
टाटा संस में शापूर पलोनजी परिवार के पास करीब 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है। समूह टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी को बेचकर अपने कर्जों का निपटान करना चाहता है।
वहीं टाटा समूह की प्रवर्तक एवं मूल कंपनी टाटा संस में टाटा ट्रस्ट के पास 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है।उन्होंने कहा कि शापूरजी पलोनजी समूह हमेशा से ही टाटा संस के सार्वजनिक सूचीकरण का समर्थन करता आया है।
मिस्त्री ने कहा, “हमारा दृढ़ मत है कि इस प्रतिष्ठित संस्था की बाजार सूचीबद्धता न केवल इसके संस्थापक जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित पारदर्शिता की भावना को बनाए रखेगी, बल्कि इससे कर्मचारियों, निवेशकों एवं भारत के लोगों के बीच विश्वास भी मजबूत होगा।’
उन्होंने कहा, ‘हमारी मान्यता एक सरल लेकिन दृढ़ विश्वास पर आधारित है कि पारदर्शिता ही विरासत और भविष्य के प्रति सच्चा सम्मान है।