नयी दिल्ली, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 के प्रावधानों के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की दो वितरण कंपनियों के निजीकरण के फैसले को रद्द करने का आग्रह किया।
एआईपीईएफ के बयान के अनुसार, संगठन ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मसौदा विधेयक के प्रावधानों के आलोक में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के फैसले को तुरंत रद्द करें, जो पूर्ण निजीकरण की नीति का खंडन करता है।
इसमें कहा गया है, ‘‘एआईपीईएफ ने पूरे बिजली वितरण क्षेत्र के निजीकरण के लिए भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी किए गए बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 के मसौदे का कड़ा विरोध किया है।
बयान के मुताबिक, एआईपीईएफ इस संबंध में विद्युत मंत्रालय और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अलग से पत्र भेजेगा।
संगठन ने कहा, मसौदा बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 में एक प्रावधान शामिल है जो सार्वजनिक क्षेत्र के बिजली वितरण निगमों को संचालन जारी रखने की अनुमति देता है। साथ ही निजी कंपनियों को बिजली वितरण के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए इन निगमों के मौजूदा नेटवर्क का उपयोग करने की अनुमति देता है।
एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने बयान में कहा कि जहां बिजली कर्मचारी देश भर में बिजली (संशोधन) विधेयक 2025 के मसौदे का पुरजोर विरोध करेंगे, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार को विधेयक के प्रावधानों के आलोक में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
दुबे ने कहा कि, उत्तर प्रदेश सरकार के वर्तमान निर्णय के अनुसार, पूर्वाचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत आने वाले सभी 42 जिलों में निजीकरण कर एक निजी कंपनी को सौंप दिया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप इन जिलों में बिजली वितरण में निजी संस्थाओं का एकाधिकार हो जाएगा।
निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के 317वें दिन, उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने शुक्रवार को भी राज्य भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।