मैरी ई ब्रुनको, फ्रेड रैमस्डेल और शिमॉन साकागुची को ‘पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस’ से संबंधित उनकी खोजों के लिए इस साल का चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार देने की सोमवार को घोषणा की गई।
ब्रुनको (64) सिएटल स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सिस्टम्स बायोलॉजी में वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक हैं। 64 वर्षीय रैमस्डेल सैन फ्रांसिस्को स्थित सोनोमा बायोथेरेप्यूटिक्स के वैज्ञानिक सलाहकार हैं, वहीं 74 वर्षीय साकागुची जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजी फ्रंटियर रिसर्च सेंटर में प्रोफेसर हैं।
प्रतिरक्षा प्रणाली में विषाणु, जीवाणु और अन्य हानिकारक कारकों का पता लगाने और उनसे लड़ने के लिए कई प्रणालियां होती हैं। टी कोशिकाओं जैसे प्रमुख प्रतिरक्षा योद्धाओं को हानिकारक कारकों की पहचान करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। अगर कुछ कारक इस तरह से गड़बड़ा जाते हैं कि स्वप्रतिरक्षी (ऑटो इम्यून) रोग उत्पन्न हो सकते हैं, तो उन्हें थाइमस में नष्ट कर दिया जाना चाहिए – इस प्रक्रिया को ‘सेंट्रल टॉलरेंस’ (केंद्रीय सहनशीलता) कहा जाता है।
नोबेल विजेताओं ने शरीर द्वारा इस प्रणाली को नियंत्रित रखने के एक अतिरिक्त तरीके का खुलासा किया।
2025 के नोबेल पुरस्कार में जिस खोज को सम्मानित किया गया है, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है — यह खोज है FOXP3 जीन और Regulatory T-Cells का रहस्य … इन वैज्ञानिकों ने की दशकों की रिसर्च से वह ‘मास्टर स्विच’ खोज निकाला है जो हमारे इम्यून सिस्टम को नियंत्रित करता है। इसी स्विच के… pic.twitter.com/CAXaz37tc1
— Hridayesh Joshi (@hridayeshjoshi) October 7, 2025
नोबेल समिति ने कहा कि इसकी शुरुआत 1995 में साकागुची द्वारा एक अज्ञात टी कोशिका के उपप्रकार की खोज से हुई, जिसे अब नियामक टी कोशिकाएं या टी-रेग्स के रूप में जाना जाता है।
फिर, 2001 में, ब्रुनको और रैमस्डेल ने फॉक्सपी3 नामक जीन में एक संभावित उत्परिवर्तन की खोज की। यह जीन एक दुर्लभ मानव स्वप्रतिरक्षी रोग में भी भूमिका निभाता है।
नोबेल समिति ने कहा कि दो साल बाद, साकागुची ने इन खोजों को जोड़कर दिखाया कि फॉक्सपी3 जीन उन टी-रेग्स के विकास को नियंत्रित करता है, जो बदले में अति-प्रतिक्रिया करने वाली टी कोशिकाओं के अन्य रूपों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए एक सुरक्षा प्रहरी के रूप में कार्य करते हैं।
कैरोलिंस्का संस्थान की रुमेटोलॉजी प्रोफेसर मैरी वारेन-हर्लेनियस ने कहा कि इस कार्य ने प्रतिरक्षा विज्ञान के एक नए क्षेत्र का द्वार खोल दिया। दुनिया भर के शोधकर्ता अब स्वप्रतिरक्षी रोगों और कैंसर के उपचार विकसित करने के लिए नियामक टी कोशिकाओं का उपयोग करने पर काम कर रहे हैं।
नोबेल समिति के अध्यक्ष ओले काम्पे ने कहा, ‘‘उनकी खोज इस बात को समझने में हमारी मदद करने के लिए निर्णायक रही हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है और हम सभी को गंभीर स्व-प्रतिरक्षी बीमारियां क्यों नहीं होतीं।’’
नोबेल समिति के महासचिव थॉमस पर्लमैन ने कहा कि वह सोमवार सुबह केवल साकागुची से ही फोन पर संपर्क कर पाए।
यह वर्ष 2025 के नोबेल पुरस्कारों की पहली घोषणा है और स्टॉकहोम के कारोलिंस्का संस्थान में एक समिति ने नाम घोषित किए।
मंगलवार को भौतिकी, बुधवार को रसायन विज्ञान और बृहस्पतिवार को साहित्य के नोबेल पुरस्कारों के विजेताओं की घोषणा की जाएगी। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को और अर्थशास्त्र में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार की घोषणा 13 अक्टूबर को की जाएगी।
पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा, जो इन पुरस्कारों की स्थापना करने वाले अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि है। नोबेल एक संपन्न स्वीडिश उद्योगपति और डायनामाइट के आविष्कारक थे। उनका निधन 1896 में हुआ था।