नयी दिल्ली, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता भारत ने सितंबर में रूस से कच्चा तेल खरीदने में 2.5 अरब यूरो खर्च किए, जो अगस्त की तुलना में 14 प्रतिशत कम है। यह जानकारी एक यूरोपीय शोध संस्थान ने दी।
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत सितंबर में रूसी ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा। उससे अधिक 5.5 अरब यूरो की खरीद चीन ने की।
भारत की रूस से कुल खरीद में कच्चा तेल 77 प्रतिशत (2.5 अरब यूरो), कोयला 13 प्रतिशत (45.2 करोड़ यूरो) और तेल उत्पाद 10 प्रतिशत (34.4 करोड़ यूरो) रहा।
सीआरईए ने कहा, ‘‘पिछले महीने भारत की रूस से कच्चे तेल की आयात मात्रा लगभग 16 लाख बैरल प्रतिदिन थी, जो मासिक आधार पर नौ प्रतिशत कम है। इसके अलावा यह इस साल फरवरी के बाद का सबसे निचला स्तर भी रहा।
सितंबर महीने में आई इस गिरावट का मुख्य कारण यह है कि सार्वजनिक स्वामित्व वाली तेल रिफाइनरियों ने रूस से आयात करीब 38 प्रतिशत कम कर दिया। यह मई, 2022 के बाद का सबसे कम आयात है।
सीआरईए ने कहा कि भारत ने रूस से आयातित तेल का कुछ हिस्सा पेट्रोल और डीजल में बदलकर यूरोप और अन्य जी-सात देशों को निर्यात किया।
फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगाने और यूरोप में मांग में कमी के चलते रूस ने अपने कच्चे तेल को भारी छूट पर उपलब्ध कराना शुरू कर दिया था। भारत ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए रूस से सस्ते तेल का आयात बढ़ा दिया था।
सितंबर में रूस के यूराल्स क्रूड पर ब्रेंट की तुलना में औसतन 5.13 डॉलर प्रति बैरल की भारी छूट रही, जो अगस्त महीने की तुलना में 39 प्रतिशत अधिक थी।