दिल्ली में साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) की 18 वर्षीय एक छात्रा के साथ विश्वविद्यालय परिसर में एक सुरक्षाकर्मी सहित चार लोगों ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया, उसके कपड़े उतार दिए और उसे गर्भपात की गोली खाने के लिए मजबूर किया।
दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी से यह जानकारी मिली, जिसमें पीड़िता ने भयावह घटना के बारे में विस्तार से बताया है।
पुलिस ने मंगलवार को बताया कि बी.टेक प्रथम वर्ष की छात्रा 13 अक्टूबर को परिसर में घायल अवस्था में मिली थी, उसके कपड़े फटे हुए थे। इससे एक दिन पहले, उसके लापता होने की सूचना दी गई थी।
पुलिस के अनुसार, इस मामले में मंगलवार को एक प्राथमिकी दर्ज की गई। पीड़िता का बयान जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कर लिया गया है, जबकि चारों आरोपी फरार हैं।
छात्रा ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि घटना से कुछ दिन पहले आर्यन यश नाम के एक व्यक्ति ने उसे ईमेल और सोशल मीडिया पर अश्लील और धमकी भरे संदेश भेजे थे।
पीड़िता के बयान के अनुसार, इन संदेशों में उसकी छेड़छाड़ कर बनायी गयी अश्लील तस्वीरें शामिल थीं और परिसर में विभिन्न स्थानों पर लोगों से मिलने के निर्देश थे।
पीड़िता के अनुसार, निर्देश में कहा गया था, ‘‘मैं तुम्हारे गेट के बाहर खड़ा हूं, तुमको बी-1 ब्लॉक, कंपाउंड में एक लड़की दिखाई देगी, उसके साथ विश्वविद्यालय के गेट 3 पर आना है। प्राथमिकी में कहा गया है कि पीड़िता छात्रावास से निकलकर सी-ब्लॉक गई, जहां उसे भीड़ दिखाई दी।
इसमें कहा गया है, ‘‘मैं लोगों के बीच जाने से बच रही था। मुझे लगा कि शायद कोई उनमें से ही होगा, इसलिए मैं इमारत के पीछे चली गई। फिर, मैं सीधे कन्वोकेशन सेंटर की ओर गई। वहां निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन रात में वह बंद रहता है, और वहां कोई नहीं जाता। थोड़ी दूर एक गार्ड ने मुझसे पूछा कि क्या हुआ है।
पीड़िता ने दावा किया कि गार्ड ने फिर एक अधेड़ व्यक्ति को बुलाया और दो लड़के भी उनके साथ आ गए। उसने प्राथमिकी में कहा, ‘‘मैं सीढ़ियों पर बैठी थी। तभी वे चारों मेरे पास आए और पूछा, ‘‘तुम जा क्यों नहीं रही हो?
पीड़िता ने प्राथमिकी में आरोप लगाया कि उन्होंने उसके साथ मारपीट की, उसके कपड़े फाड़ दिए, उसकी जीभ के नीचे गर्भपात की एक गोली दबा दी और उसे जान से मारने की धमकी दी। प्राथमिकी के अनुसार, एक व्यक्ति ने उसे पकड़ रखा था और उसके कपड़े उतारने की कोशिश कर रहा था, जबकि वह प्रतिरोध कर रही थी।
विश्वविद्यालय का एक कर्मचारी जब घटनास्थल की ओर आया, तो हमलावर पीड़िता को घायल और बेसुध छोड़कर भाग गए। बाद में, उसे सहपाठियों ने ढूंढा और एक छात्रावास के कमरे में ले जाकर उसकी काउंसलिंग की गई।
घटना के बारे में सोमवार अपराह्न तीन बजे पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) को फोन पर सूचना दी गई थी।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अंकित चौहान ने कहा, ‘‘जांच पूरी संवेदनशीलता और प्राथमिकता के साथ की जा रही है। आरोपियों का पता लगाने के लिए परिसर से सीसीटीवी फुटेज एकत्र की जा रही है और सभी सुरागों का पता लगाया जा रहा है।’’
विश्वविद्यालय ने भी घटना की जांच के लिए एक जांच समिति गठित की है और 10 दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने घटना की ‘‘कड़े शब्दों में’’ निंदा की और छात्रों को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
कथित घटना के बाद परिसर में प्रदर्शन शुरू हो गए। छात्रों ने प्रशासनिक ब्लॉक में आठ घंटे से अधिक समय तक धरना दिया तथा विश्वविद्यालय प्रशासन पर पुलिस को सूचना देने में देरी करने और पीड़िता की सुरक्षा चिंताओं के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि छात्रा अपने माता-पिता के एक-दूसरे से अलग होने के बाद से अवसाद का इलाज करा रही है।
पुलिस ने कहा कि जांच के तहत सभी डिजिटल संचार, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट की पड़ताल की जा रही है।
प्राथमिकी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 70 (सामूहिक बलात्कार), 62 (आजीवन कारावास वाले दंडनीय अपराध करने का प्रयास), 140 (3) (अपहरण), 123 (जहर या इसी तरह के पदार्थों से चोट पहुंचाना), 115 (2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) आदि के तहत दर्ज की गई है।