अमेरिका के संघीय आंकड़ों के अनुसार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) 2025 तक 5,000 से अधिक स्वीकृत एच-1बी वीजा के साथ इस कार्यक्रम की दूसरी सबसे बड़ी लाभार्थी है। इस लिहाज से पहले स्थान पर अमेजन है।
अन्य शीर्ष लाभार्थियों में माइक्रोसॉफ्ट (5189), मेटा (5123), एप्पल (4202), गूगल (4181), डेलॉइट (2353), इंफोसिस (2004), विप्रो (1523) और टेक महिंद्रा अमेरिकाज (951) शामिल हैं।
ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का चौंका देने वाला वार्षिक शुल्क लगाने की घोषणा की है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य कार्यक्रम के ”व्यवस्थित दुरुपयोग” को रोकना है।
इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मोहनदास पई ने इस धारणा को खारिज किया कि कंपनियां अमेरिका में सस्ते श्रम भेजने के लिए एच-1बी वीजा का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष 20 एच-1बी नियोक्ताओं द्वारा दिया जाने वाला औसत वेतन एक लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के कथन को ”बेतुकी बयानबाजी” करार दिया।
एक आईटी उद्योग विशेषज्ञ ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि भारतीय तकनीकी कंपनियों को हर साल 8,000-12,000 नए स्वीकृतियां मिलती हैं। इसका असर सिर्फ भारतीय कंपनियों पर ही नहीं, बल्कि अमेजन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी वैश्विक तकनीकी दिग्गज कंपनियों पर भी होगा।
हालांकि, इस फैसले से अमेरिका में भारतीय आईटी और पेशेवर कर्मचारी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।