केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि करदाता आयकर अधिनियम की धारा 87ए के तहत उस आय पर कर छूट का दावा नहीं कर सकते, जिस पर विशेष दरों पर कर लगाया जाता है, जिसमें शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) भी शामिल है।
वित्त वर्ष 2023-24 में कई करदाताओं के शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन छूट दावे आयकर विभाग ने खारिज कर बकाया कर मांगा
वित्तीय वर्ष 2023-24 में कई करदाताओं ने शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर छूट का दावा किया था, लेकिन आयकर विभाग ने उनके अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया और बकाया करों की मांग की है।विभाग ने अब ऐसे करदाताओं से 31 दिसंबर, 2025 तक अपना बकाया कर चुकाने को कहा है। यह उन मामलों पर भी लागू होता है जहां पहले गलती से छूट दे दी गई थी।
सीबीडीटी ने 19 सितंबर को बताया कि कई रिटर्न गलत प्रोसेस होकर विशेष दर वाली आय पर गलत छूट दी गई थी
सीबीडीटी ने 19 सितंबर को जारी अपने सर्कुलर में कहा था कि कई मामलों में रिटर्न गलत तरीके से प्रोसेस किए गए थे और विशेष कर दरों के अंतर्गत आने वाली आय पर छूट दी गई थी।अब इन गलतियों को सुधारा जा रहा है और नई मांगें जारी की जा रही हैं। सर्कुलर में यह भी चेतावनी दी गई है कि भुगतान में किसी भी तरह की देरी पर आयकर अधिनियम की धारा 220(2) के तहत ब्याज लग सकता है।
करदाताओं की परेशानी कम करने के लिए, आयकर विभाग ने राहत की पेशकश की है
हालांकि, करदाताओं की परेशानी कम करने के लिए, आयकर विभाग ने राहत की पेशकश की है। उसने 31 दिसंबर, 2025 से पहले बकाया करों का भुगतान करने पर ब्याज माफ करने का फैसला किया है। जुलाई 2024 से, आयकर विभाग धारा 87ए के तहत 7 लाख रुपए से कम आय वाले करदाताओं के लिए शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर छूट के दावों को खारिज कर रहा है।
वित्त वर्ष 2023-24 में शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर 15% कर था, जो 2024-25 से 20% हो गया है
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, इन शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर 15 प्रतिशत कर लगाया जाता था, लेकिन वित्त वर्ष 2024-25 से यह दर बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी गई है।वित्त वर्ष 2023-24 के लिए छूट की सीमा ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 5 लाख रुपए और नई टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख रुपए थी।
यह प्रावधान कर देयता घटाने में सहायक था, पर एसटीसीजी जैसी विशेष दर वाली आय पर लागू नहीं था
हालांकि, इस प्रावधान ने कर देयता को शून्य करने में मदद की, लेकिन यह छूट एसटीसीजी जैसी विशेष दरों पर कर योग्य आय को कवर करने के लिए नहीं थी। बाद में यह मामला बॉम्बे उच्च न्यायालय तक पहुंच गया था, जिसमें दिसंबर 2024 में आयकर विभाग से करदाताओं को अपने रिटर्न संशोधित करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
जनवरी 2025 में संशोधन की 15 दिन की अवधि तय थी, पर कई करदाताओं को बाद में भी बकाया भुगतान नोटिस मिले
जनवरी 2025 में ऐसे संशोधनों के लिए 15 दिनों की अवधि निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में भी कई करदाताओं को अपने लंबित बकाया का भुगतान करने के लिए नोटिस प्राप्त हुए। अंततः, केंद्रीय बजट 2025 ने यह कहकर सभी भ्रम दूर कर दिए कि धारा 111ए के तहत एसटीसीजी सहित विशेष दर वाली आय, वित्त वर्ष 2025-26 से धारा 87ए के तहत छूट के लिए पात्र नहीं होगी।