आगरा, 17 माह के इंतजार के बाद आखिरकार कलियुग की यशोदा के प्यार की जीत हुई है। राजकीय शिशु गृह में रह रही बालिका अब अपनी पालनहार मां के पास रहेगी।
सोमवार को हाईकोर्ट ने पालनहार मां के हक में फैसला दिया तो वो आदेश लेकर आगरा के लिए चल दी है। अब पालनहार मां बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करेगी। हाईकोर्ट के आदेश से पालनहार मां की खुशी का ठिकाना नहीं है।
जानिए पूरा मामला
नवंबर 2014 में खंदौली क्षेत्र निवासी महिला को एक किन्नर ने नवजात बच्ची को दे गया था। वर्ष 2022 तक महिला ने बच्ची का पालन पोषण किया। बच्ची स्कूल भी जाने लगी, एक दिन किन्नर वापस आया और बच्ची को जबरन साथ ले गया।
इसके बाद मामला बाल कल्याण समिति के समक्ष पहुंचा और समिति ने बच्ची बरामद करके राजकीय शिशु गृह भेज दिया। बच्ची ने काउंसिलिंग में महिला को अपनी मां बताया, बच्ची भी उससे मिलने के लिए परेशान थी, बच्ची के बिना पालनहार मां भी छटपटा रही थी। उसे पाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की. सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने महिला का साथ दिया।
दावा से उलझ गया था मामला
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यमुनापार निवासी एक व्यक्ति ने बच्ची के पिता होने का दावा पेश किया। जिससे मामला उलझ गया। व्यक्ति ने कहा कि वर्ष 2015 में उसकी नवजात बच्ची का अपहरण हुआ था। अभी तक नहीं मिली है, उसे शक है कि यह बच्ची उसकी है। इस पर ही हाईकोर्ट ने डीएनए की जांच कराई थी।
हाईकोर्ट में सुनवाई
हाईकोर्ट में न्यायाधीश सौमित्र दयाल सिंह और मंजीव शुक्ला की पीठ ने सोमवार को पालनहार मां की याचिका पर सुनवाई की। हाईकोर्ट में डीएनए रिपोर्ट पेश की गई। बच्ची और व्यक्ति की डीएनए रिपोर्ट का मिलान किया गया तो डीएनए रिपोर्ट बेमेल रही। जिस पर जैविक पिता का दावा करने वाले व्यक्ति ने अपना दावा वापस ले लिया।
करीब एक घंटे तक सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने आदेश में मानवीय पहलुओं का उल्लेख किया गया है। आदेश में लिखा है कि याचिकाकर्ता को बच्ची से दूर करना कानून का सबसे आसान हिस्सा है, लेकिन कानून के लिए जैविक माता-पिता का एक और समूह खोजना संभव नहीं है। कानून को न्याय देना चाहिए जो यह अनुशंसा करता है कि बच्ची को उन लोगों की देखभाल में रहना चाहिए, जिन्हें वह अपने माता-पिता मानती है, विशेष रूप से याचिकाकर्ता जिसमें उसने अपनी मां को पाया है।
एक सप्ताह में गोद देनी की प्रक्रिया पूरी करें
हाईकोर्ट ने सोमवार को अपने आदेश में कहा है कि पालनहार मां के आदेश की प्रति बाल कल्याण समिति को सौंपने के एक घंटे के अंदर बच्ची उसकी अभिरक्षा में दे दी जाए। पालनहार मां को एक सप्ताह में बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। क्योंकि जिस व्यक्ति ने बच्ची का जैविक पिता होने का दावा किया था। उसका डीएनए मैच नहीं हुआ। इसलिए व्यक्ति ने खुद ही अपना दावा वापस ले लिया है।