नई दिल्ली, अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास की साज सज्जा को लेकर इन दिनों सियासी गलियारों में घमासान मचा हुआ है। एक ओर जहां भाजपा लगातार केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लेने का काम कर रही है तो दूसरी ओर मीडिया में भी रोजाना इस मुद्दे को लेकर नए तथ्य सामने आ रहे हैं।
इसी कड़ी में केजरीवाल के सरकारी आवास की सेटेलाइट तस्वीर भी सामने आई है। सैटेलाइट तस्वीरें जो निकाली गईं हैं वह दिखाती हैं कि केजरीवाल का पुराना घर कहां है और नया घर कहां है। वहीं, सेटेलाइट तस्वीर सामने आने के बाद विपक्ष सहित अन्य कई दल केजरीवाल सरकार पर हावी हो गए हैं।
सैटेलाइट तस्वीरों से यह पता चला है कि कैसे यह नया घर बनाया गया। 2013,2016 और 2017 की तस्वीरें उसमें बिल्ट अप एरिया दिख रहा है। 2015 में दूसरी बार सीएम बनने के बाद केजरीवाल यहां शिफ्ट हुए थे। लेकिन चार साल बाद 2021 के मार्च महीने में यह तस्वीर पूरी तरह बदली हुई दिख रही है।
अब इसके बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि सीएम केजरीवाल पुराने घर में रहते हुए नया घर बनवा रहे थे तो टेंडर एडिशन मॉडिफिकेशन का क्यों निकला। सैटेलाइट तस्वीरों से साबित हो रहा है कि पुराने घर में बदलाव या मरम्मत का कोई काम नहीं हो रहा था। यदि नया घर बनवाया गया तो उसका टेंडर क्यों नहीं निकाला गया।
इसके पहले ऑपरेशन में यह भी खुलासा हुआ कि कैसे दस करोड़ रुपये से कम कीमत का प्रपोजल तैयार हुआ। दस करोड़ से अधिक रकम होने पर इसका टेंडर निकालना पड़ता। इस नए खुलासे पर अरविंद केजरीवाल के पुराने सहयोगी रहे आशुतोष ने भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यदि कुछ गलत नहीं हुआ तो आकर बताना चाहिए। यह सवाल नहीं कि पेपर कैसे और कहां से मिले।
वहीं बीजेपी प्रवक्ता सुंधाशु त्रिवेदी ने इस नए खुलासे पर कहा कि टोपी, मफलर, बंगला, गाड़ी सब कुछ का भेद खुल गया है।
ऑपरेशन शीशमहल के पहले पार्ट में यह खुलासा हुआ था कि केजरीवाल के सरकारी बंगले को चमकाने के लिए 44 करोड़ 78 लाख रुपये खर्च हुए हैं। सीएम आवास में 8-8 लाख रुपये का एक-एक पर्दे लगाए गए हैं। सीएम हाउस में लगे कुल पर्दों पर एक करोड़ रुपये खर्च हुए। सरकारी आवास पर जो मार्बल लगा है उसको वियतनाम से मंगाया गया था। इस डियोर पर्ल मार्बल की कीमत एक करोड़ 15 लाख रुपये है।