प्रयागराज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि लोक अदालत के पास अभियोजन के अभाव में या पक्षकार के हाजिर नहीं होने पर एक लंबित शिकायत को खारिज करने का अधिकार नहीं है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी स्थिति में जहां लोक अदालत के समक्ष कोई समझौता नहीं हो पाता तो उसे मामले को वापस संबंधित अदालत के पास लौटाना होगा।
राजीव जैन नामक एक व्यक्ति की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने कहा कि एक लोक अदालत पक्षकारों की बगैर सहमति के और शिकायतकर्ता को बगैर सूचित किए खुद ही मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती।
उच्च न्यायालय ने लोक अदालत द्वारा नौ दिसंबर, 2017 को पारित उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें शिकायतकर्ता के हाजिर नहीं होने पर चेक बाउंस की शिकायत खारिज कर दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने छह अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा, “यह मामला संबंधित न्यायिक अधिकारी द्वारा लोक अदालत में गैर जिम्मेदारी और अनाधिकृत कार्रवाई का सबसे गंभीर उदाहरण है। इस संबंध में न्यायिक अधिकारी को चेतावनी जारी किया जाए ताकि वह भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति ना करे।