उत्तर प्रदेश के कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में तीन दशक बाद भाजपा ने भारी जीत हासिल कर सपा के इस मजबूत गढ़ में सेंध लगायी है। हालांकि, सपा ने भाजपा की इस जीत को ‘नए जमाने की बूथ कैप्चरिंग’ बताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।
इस क्षेत्र में 62 फीसदी मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत का श्रेय उसके रणनीतिकार सत्तारूढ़ पार्टी की मजबूत रणनीति को दे रहे हैं। भाजपा का यह भी कहना है कि उसके प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह के प्रति ठाकुर मुसलमानों के समर्थन ने भी उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
मजहबी समीकरणों के चलते उपचुनाव में कुंदरकी सीट भाजपा के लिए सबसे मुश्किल मानी जा रही थी, लेकिन उसके प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह ने 1,44,791 मतों से जीत हासिल की। सपा इस सीट पर अपनी जमानत भी नहीं बचा सकी और उसके उम्मीदवार एवं पूर्व विधायक मोहम्मद रिजवान सिर्फ 25,580 वोट ही हासिल कर सके।
सपा के प्रवक्ता फखरुल हसन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘यह नए जमाने की बूथ कैप्चरिंग है। पार्टी कुंदरकी के मामले में कानूनी राय ले रही है और जरूरत पड़ी तो चुनाव परिणाम के खिलाफ अदालत का दरवाजा भी खटखटाएगी।’
आंकड़ों के मुताबिक, कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में लगभग चार लाख मतदाता हैं, जिनमें से ढाई लाख मुसलमान हैं। उनमें 65 हजार से ज्यादा मुस्लिम ठाकुर बिरादरी के मतदाता हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी ने हमेशा से यहां पर राजनीतिक नेतृत्व के मामले में 30 हजार की आबादी वाले तुर्क नेताओं पर ही भरोसा किया है। भाजपा इसे लेकर मुस्लिम ठाकुरों की अर्से पुरानी नाराजगी को भुनाने में कामयाब रही।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कुंदरकी में राजनीतिक नेतृत्व ज्यादातर तुर्क बिरादरी के हाथ में रहा और ज्यादा संख्या बल होने के बावजूद मुस्लिम ठाकुर बिरादरी की उपेक्षा की गई।
खुद भी मुस्लिम ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले अली ने कहा कि इस बार उन्होंने भाजपा प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह के साथ मुस्लिम ठाकुर बिरादरी की भावनाओं को जोड़ने के लिए ‘ना दूरी है, ना खाई है, रामवीर सिंह हमारा भाई है’ का नारा दिया था और उपचुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि उन्हें मुस्लिम ठाकुर मतदाताओं का एकतरफा वोट हासिल हुआ है।
भाजपा ने इससे पहले वर्ष 1993 के उपचुनाव में कुंदरकी सीट जीती थी। तब उसके प्रत्याशी चंद्र विजय सिंह ने यहां पर जीत हासिल की थी। उसके बाद से यहां सपा और बहुजन समाज पार्टी का ही वर्चस्व रहा।
कुंदरकी में 62 फीसदी मुस्लिम मतदाता होने के चलते सपा यहां अपनी जीत तय मान रही थी।
सपा ने कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में अपनी करारी हार के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि भाजपा ने पुलिस-प्रशासन का इस्तेमाल कर मुसलमानों को वोट नहीं डालने दिया।
सपा के प्रवक्ता फखरुल हसन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में आरोप लगाया, ‘भाजपा ने गांव-गांव में पुलिस बैठाकर मुसलमान मतदाताओं को वोट नहीं डालने दिया। इसके अलावा फर्जी वोटिंग करने के लिए बाहर से लोगों को बुलाया गया और उन्हें गुलाबी पर्ची दी गई। एक साजिश के तहत ऐसी पर्ची धारकों को कहीं पर भी चेक नहीं किया गया। कुंदरकी में जबरदस्त पैमाने पर धांधली हुई है।’
इन आरोपों को खारिज करते हुए अली ने बताया कि भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने मुसलमान मतदाताओं में भाजपा के प्रति बैठाये गए डर और भ्रम को खत्म किया और मुसलमान ने भी समझदारी से समावेशी सशक्तिकरण का रास्ता चुनते हुए भाजपा से मुसलमानों की ‘एलर्जी’ को विरोधियों की ‘एनर्जी’ में तब्दील नहीं होने दिया।
उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे शनिवार को घोषित किए गए। इनमें से भाजपा ने छह सीटों कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, फूलपुर, मझवां और कटेहरी तथा उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने मीरापुर सीट पर जीत हासिल की। वहीं, सपा को सीसामऊ व करहल सीट पर जीत मिली।