श्री राम विलास पासवान ने बाद में मीडिया को सूचित किया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के सभी प्रावधान 24 जुलाई, 2020 से लागू हो गए हैं, जिनमें उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 भी शामिल है। नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 पूरे देश में 20.7.2020 से लागू किया गया है। अपने संबोधन में श्री पासवान ने कहा कि ये नया अधिनियम ई-कॉमर्स में अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए और उपभोक्ताओं के विवादों के निपटारे और समय पर व प्रभावी प्रशासन के लिए तंत्र स्थापित करते हुए उपभोक्ताओं के हितों और अधिकारों की रक्षा करने के लिए, नियमों के माध्यम से कई उपाय प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तदनुसार उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 को अधिसूचित किया है। उन्होंने आगे कहा कि ये नियम डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर खरीदे या बेचे जाने वाले सभी सामानों और ई-कॉमर्स के सभी मॉडलों पर लागू होंगे जिनमें मार्केट प्लेस यानी बाजार (जैसे एमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट) और इन्वेंट्री मॉडल (जहां ई-कॉमर्स कंपनी शेयरों की भी मालिक है) भी शामिल हैं। ये नियम ई-कॉमर्स कंपनियों (बाजार और इन्वेंट्री मॉडल) और ई-कॉमर्स कंपनियों के बाजार स्थान पर बेचने वालों के कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों को निर्दिष्ट करते हैं।
उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने मंचों के बारे में जानकारियां प्रदान करनी होंगी जैसे उनका कानूनी नाम, मुख्यालयों / सभी शाखाओं के प्रमुख भौगोलिक पते, वेबसाइट का नाम व ब्यौरा और ग्राहक देखभाल व शिकायत अधिकारी का ई-मेल पता, फैक्स, लैंडलाइन और मोबाइल नंबर आदि। उन्हें रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी और गारंटी, डिलीवरी और शिपमेंट, भुगतान के माध्यम, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान के तरीके, भुगतान के तरीकों की सुरक्षा, चार्ज-बैक विकल्प आदि से संबंधित जानकारी प्रदान करना आवश्यक है। इन नियमों के अंतर्गत ई-कॉमर्स संस्थाओं को पुष्टि के बाद ऑर्डर रद्द करने वाले उपभोक्ताओं पर रद्दीकरण शुल्क नहीं लगाना चाहिए, जब तक कि उनके द्वारा आदेशों को एकतरफा रद्द करने की स्थिति में उन्हें भी इसी तरह के शुल्क वहन करने पड़ रहे हों।
अगर कोई ई-कॉमर्स कंपनी आयातित वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री कर रही है तो इस स्थिति में उसे आयातक के नाम और विवरण का उल्लेख करना होगा। एक बाज़ार स्थान पर हर विक्रेता को बिक्री के लिए प्रस्तुत वस्तुओं और सेवाओं के मूल देश समेत सभी प्रासंगिक विवरण प्रदान करने होंगे जो कि उपभोक्ता को खरीद से पहले के चरण में एक सूचित निर्णय लेने में सक्षम करने के लिए आवश्यक हैं।
मंत्री महोदय ने कहा कि प्रत्येक ई-कॉमर्स संस्था को एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने और एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता हैजिसका नाम, पदनाम, संपर्क विवरण उस मंच पर प्रदर्शित होना आवश्यक है। ई-कॉमर्स संस्थाओं को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनका शिकायत अधिकारी 48 घंटों के भीतर किसी भी उपभोक्ता की शिकायत को स्वीकार कर ले और शिकायत प्राप्त होने की तारीख से एक महीने के भीतर उस शिकायत का निवारण कर दे।
उन्होंने कहा कि इन नियमों के उल्लंघन को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत निपटा जाएगा। अनुचित व्यापार व्यवहार और भ्रामक विज्ञापनों को लेकर मुकदमे की स्थिति में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण कार्रवाई कर सकता है। किसी भी मुआवजे के लिए कोई उपभोक्ता उचित अधिकार क्षेत्र के उपभोक्ता आयोग से संपर्क कर सकता है।