बताया गया है कि बिल्कुल आमने सामने आ गए सैनिक अब वैसी स्थिति में नहीं हैं जिसे पहले ‘आइबॉल टू आइबॉल सिचुएशन’ कहा जा रहा था. लेकिन तनातनी कम करने का काम अब भी सीमित स्तर पर ही हो रहा है.
अधिकारियों ने बताया कि यह काम तीन जगहों पर चल रहा है, ये जगहें हैं—गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स. बीबीसी को जानकारी देने वाले अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वे देपसांग या पैंगोंग सो झील की बात नहीं कर रहे हैं.
एक अन्य अधिकारी ने बताया, “तंबू और अस्थायी ढांचे दोनों तरफ़ से हटाए जा रहे हैं और सैनिक पीछे हट रहे हैं. लेकिन इसका मतलब वापसी या प्रकरण का अंत नहीं है.”
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि इन गतिविधियों की लगातार निगरानी की जा रही है जिसके लिए सैटेलाइट तस्वीरों और ऊँचे प्लेटफॉर्म्स की मदद ली जा रही है.
कई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि चीनी सैनिक कितने पीछे हटे हैं, इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने कोई दूरी बताने से इनकार किया.
उन्होंने इतना ही कहा, “यह उस प्रक्रिया की शुरूआत है जो 30 जून को चुसुल में हुई दोनों पक्षों के कमांडरों की बैठक के बाद तय की गई थी.”
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार को बीजिंग में संवाददाताओं से कहा कि “दोनों पक्षों सीमा पर तनाव कम करने पर सहमत हैं और सीमा से सैनिकों को पीछे हटा रहे हैं.”