कारोबार में सुगमता’ सुनिश्चित करने और सभी राज्यों में प्रतिभूतियों पर स्टांप ड्यूटी में एकरूपता लाने और इस तरह से एक अखिल भारतीय प्रतिभूति बाजार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ विचार-विमर्श और परामर्श करने के बाद भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 में अपेक्षित संशोधनों एवं इसके तहत बनाए गए नियमों के माध्यम से कानूनी और संस्थागत व्यवस्था बनाई है, ताकि राज्यों को किसी एक प्रपत्र पर एक ही एजेंसी (स्टॉक एक्सचेंज या इसके द्वारा अधिकृत क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के जरिए अथवा डिपॉजिटरी द्वारा) द्वारा एक ही स्थान पर प्रतिभूति बाजार के प्रपत्रों पर स्टांप ड्यूटी का संग्रह करने में सक्षम बनाया जा सके। संबंधित राज्य सरकारों के साथ स्टांप ड्यूटी को उचित रूप से साझा करने के लिए भी एक व्यवस्था विकसित की गई है जो खरीदार के स्थायी निवास वाले राज्य पर आधारित है।
प्रतिभूति बाजार में लेन-देन पर स्टांप ड्यूटी के संग्रह की वर्तमान प्रणाली की वजह से एक ही प्रपत्र के लिए कई दरों की स्थिति बन गई जिसके परिणामस्वरूप न्यायिक विवाद और कई बार स्टांप ड्यूटी लिए जाने की नौबत आ गई। ऐसे में प्रतिभूति बाजार में लेन-देन की लागत बढ़ने लगी और पूंजी सृजन में नुकसान होने लगा।
भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 में संशोधन करने वाले वित्त अधिनियम, 2019 के संबंधित प्रावधानों और भारतीय स्टांप (स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और डिपॉजिटरी के माध्यम से स्टांप ड्यूटी का संग्रह) नियम, 2019 को 10 दिसंबर, 2019 को एक साथ अधिसूचित किया गया था और ये सभी 9 जनवरी, 2020 से लागू होने वाले थे, जिसे बाद में 1 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया था। इसके लिए 8 जनवरी, 2020 की अधिसूचनाएं देखें। इसके अलावा, हितधारकों से प्राप्त अनुरोधों तथा कोविड-19 के कारण किए गए देशव्यापी लॉकडाउन की स्थिति को ध्यान में रखते हुए और अन्य सेक्टरों में वैधानिक एवं नियामकीय अनुपालनों में दी गई छूटों के अनुरूप वित्त अधिनियम 2019 के माध्यम से भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 में किए गए संशोधनों और इसके तहत बनाए गए नियमों को लागू करने की तिथि को भी और आगे बढ़ाकर 1 जुलाई, 2020 कर दिया गया। इसके लिए 30 मार्च, 2020 की अधिसूचनाएं देखें।
संभावित प्रभाव
केंद्रीकृत संग्रह व्यवस्था के जरिए इस तर्कसंगत एवं सामंजस्यपूर्ण प्रणाली से संग्रह की लागत कम होने और राजस्व उत्पादकता बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा, इस प्रणाली से पूरे देश में इक्विटी बाजारों और इक्विटी संस्कृति को विकसित करने में मदद करेगी जिससे संतुलित क्षेत्रीय विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
मुख्य बातें
स्टांप ड्यूटी की संरचनाओं को तर्कसंगत बनाने के लिए उपर्युक्त संशोधन अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित ढांचागत सुधार प्रदान करते हैं:
प्रतिभूतियों की बिक्री, हस्तांतरण और जारी करने पर स्टांप ड्यूटी राज्य सरकार की ओर से ‘संग्रह एजेंटों’ द्वारा एकत्र की जाएगी, जो बाद में एकत्रित स्टांप ड्यूटी को संबंधित राज्य सरकार के खाते में हस्तांतरित कर देंगे।
बार-बार कराधान से बचने के लिए किसी सौदे से जुड़े सौदे के ऐसे किसी भी द्वितीयक रिकॉर्ड पर राज्यों द्वारा कोई स्टांप ड्यूटी नहीं ली जाएगी, जिस पर स्टांप ड्यूटी लेने के लिए डिपॉजिटरी/स्टॉक एक्सचेंज को अधिकृत किया गया है।
मौजूदा प्रणाली में स्टांप ड्यूटी विक्रेता और क्रेता दोनों ही द्वारा देय है, जबकि नई प्रणाली में इसे केवल एक पर ही लगाया जाता है (या तो क्रेता द्वारा या विक्रेता द्वारा, लेकिन दोनों के द्वारा देय नहीं, एक्सचेंज के कुछ प्रपत्र के मामले को छोड़कर जिसमें स्टांप ड्यूटी दोनों ही पक्षों द्वारा समान अनुपात में वहन की जाएगी)।
संग्रह एजेंट या तो स्टॉक एक्सचेंज या अधिकृत क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और डिपॉजिटरी होंगे।
प्रतिभूतियों में सभी एक्सचेंज आधारित द्वितीयक बाजार सौदों के लिए स्टॉक एक्सचेंज स्टांप ड्यूटी का संग्रह करेंगे; और ऑफ-मार्केट सौदों (जो किसी तय धनराशि पर किए जाते हैं जिनका खुलासा सौदा करने वालों द्वारा किया जाता है) तथा डिमैट प्रारूप में प्रतिभूतियों के आरंभिक निर्गम के लिए डिपॉजिटरी स्टांप ड्यूटी का संग्रह करेंगी।
यह माना जाता था कि प्रतिभूतियों में डिलीवरी आधारित सौदे होने के नाते म्यूचुअल फंडों को विभिन्न राज्य अधिनियमों के अनुसार स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना चाहिए। अत: सभी म्यूचुअल फंड सौदों पर स्टांप ड्यूटी देनी होगी। नई प्रणाली ने तो केवल सभी राज्यों में शुल्क के साथ-साथ स्टांप ड्यूटी के संग्रह के तरीके को मानकीकृत किया है।
कार्यान्वयन के लिए तैयारी
यहां तक कि महामारी की स्थिति के मद्देनजर सख्त लॉकडाउन के विभिन्न चरणों के दौरान भी बाजार में ट्रेडिंग की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए गए क्योंकि शेयर बाजार (स्टॉक मार्केट) अर्थव्यवस्था के लिए विशेष अहमियत रखते हैं।
स्टांप अधिनियम में संशोधनों और दरों को फरवरी 2019 (जब वित्त अधिनियम, 2019 को अधिसूचित किया गया था) से ही सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध करा दिया गया है और बाजार के पास इसके लिए तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय था। स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन, डिपॉजिटरी, सीसीआईएल और आरटीआई/एसटीए की परिचालन प्रणालियां पूरी तरह से तैयार हैं, ताकि संशोधित भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 के संबंधित प्रावधानों और इसके तहत बनाए गए नियमों को 1 जुलाई, 2020 से लागू किया जा सके।