भारत में सेक्स ऐसा मसला है, जिसमें दिलचस्पी तो सबकी है, लेकिन बात करने से लोग हिचकते हैं। पुरुष तो फिर भी सेक्स के बारे में अपना नजरिया बयां कर देते हैं। लेकिन महिलाएं अगर खुलकर इस बारे में बात करना भी चाहें, तो उन्हें गलत नजरों से देखा जाता है। सेक्स के मामले में महिलाएं शर्म और सामाजिक बंदिशों के चलते अक्सर मौन रहती हैं। यूं तो प्राचीन भारतीय समाज शारीरिक संबंधों को लेकर काफी खुले जहन का रहा था। जिसकी मिसाल हमें खजुराहो के मंदिरों से लेकर वात्स्यायन के विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ कामसूत्र तक में देखने को मिलती है। लेकिन जैसे-जैसे समाज आगे बढ़ा, हमारा देश जिस्मानी रिश्तों के प्रति संकुचित होता चला गया। मर्द-औरत के यौन संबंध से जुड़ी बातों में पर्देदारी और पहरेदारी हो गई। हालांकि, अब यौन संबंधों को लेकर फिर से एक बड़ा बदलाव आ रहा है। ऐसा बदलाव जो क्रांतिकारी है।
कुदरती तौर पर सेक्स का मतलब सिर्फ बच्चे पैदा करने और परिवार बढ़ाने तक ही सीमित था। लेकिन साइंस की बदौलत अब सेक्स के बिना भी बच्चे पैदा किए जा सकते हैं। आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब के जरिए ये पूरी तरह संभव है। दुनिया का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी 1978 में पैदा हुआ था। उसके बाद से अब तक करीब 80 लाख बच्चे इस तकनीक के जरिए दुनिया में आ चुके हैं।
रिसर्चरों का मानना है कि भविष्य में इस तरीके से पैदा हुए बच्चों की तादाद में भारी इजाफा देखने को मिलेगा।
आने वाले समय में 20 से 40 साल की उम्र वाले सेहतमंद जोड़े लैब में गर्भ धारण कराना पसंद करेंगे। वो सेक्स बच्चा पैदा करने के लिए नहीं बल्कि जिस्मानी जरूरत और खुशी के लिए करेंगे। अगर बच्चे बिना सेक्स के पैदा हो सकते हैं तो फिर सेक्स की क्या जरूरत है?
आखिर इन सबके बीच लाइन खींची किसने? शायद उन लोगों ने जिन्होंने सेक्स को सिर्फ बच्चे पैदा करने की जरूरत समझा। अगर ‘सेक्स क्यों’? के जुमले से सवालिया निशान हटा लिया जाए तो शायद लोग इसका बेहतर मतलब समझ पाएंगे। सेक्स की ख्वाहिश कुदरती प्रक्रिया है। जैसे-जैसे यौन सबंध के प्रति लोगों की सोच बदल रही है, वैसे-वैसे लोगों ने गे और लेस्बियन रिश्तों को भी स्वीकार करना शुरू कर दिया है। हाल ही में 141 देशों में की गई रिसर्च ये बताती है कि 1981 से 2014 तक एलजीबीटी समुदाय को स्वीकार करने की दर में करीब 57 फीसद इजाफा हुआ है। इसमें मीडिया, मेडिकल सपोर्ट और मनोवैज्ञानिक संस्थाओं के सकारात्मक साथ ने बहुत अहम aरोल निभाया है। इसके अलावा आज पोर्न देखने का चलन जितना बढ़ चका है, उससे साफ जाहिर है कि लोगों में सेक्स की भूख कितनी ज्यादा है। पोर्न देखने से कुछ मिले या ना मिले, लेकिन सेक्स की ख्वाहिश बहुत हद तक शांत हो जाती है।