दुनियाभर में निवेश के जरिए आर्थिक घुसपैठ करने वाले चीन की चाल भारत में नाकाम हो सकती है। सीमा पर बढ़ते तनाव के बाद अब सरकार द्वारा भारतीय स्टार्टअपों में चीनी निवेश की सख्त जांच करने के आसार हैं।
सरकार की सख्ती से पेटीएम, ओला, बिग बास्केट, बायजू, ड्रीम11, जोमैटो और स्विगी जैसे स्टार्टअपों पर पकड़ बढ़ा रही चीनी कंपनियों के नए निवेश पर काफी असर पड़ेगा। भारत में अलीबाबा, टेंसेंट, शाओमी और स्टीडव्यू कैपिटल जैसे कई चीनी निवेशकों ने अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है।
ड्रैगन को भुगतना पड़ेगा नतीजा पिछले कुछ वर्षों में भारत ने तो चीन को निवेश के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध कराया, लेकिन उसने हमें सीमा पर धोखा ही दिया है। इसका नतीजा उसे निश्चित ही भुगतना पड़ेगा। हालांकि, भारतीय स्टार्टअप मालिकों को भी निवेश के नए विकल्पों पर अभी से जोर देना चाहिए।
सरकार ने अपनाई प्री-क्लियरेंस व्यवस्था
सरकार ने चीनी आर्थिक साम्राज्यवाद को देखते हुए हाल में अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में बदलाव किया है।
कोरोना महामारी के मददेनजर चीन द्वारा भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण जैसी संभावना को रोकने के लिए भी सख्त कदम उठाए हैं। इसके तहत चीनी निवेश को लेकर मंजूरी पूर्व (प्री-क्लियरेंस) व्यवस्था शुरू की गई है।
अब चीन-हांगकांग से आने वाले निवेश की गहन जांच
फिलहाल सरकार भारत में चीन और हांगकांग के रास्ते आने वाले निवेश आवेदनों की गहन जांच कर रही है। अभी कई चीनी निवेशक सरकार से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
52 चीनी एप से खतरा
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने चीन से जुड़े 52 मोबाइल एप को इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। जूम, टिकटॉक, यूसी ब्राउजर और शेयरइट शामिल।
चीनी निवेशकों में घबराहट
भारत की सख्ती और मौजूदा तनाव को लेकर चीनी वेंचर कैपिटल निवेशक चिंतित हैं। हाल ही में कुछ मामलों में उन्होंने अनुबंध शर्तें वापस भी ले ली हैं।