गलवां घाटी में भारतीय सेना के जवानों की शहादत के बाद पूर्वी लद्दाख में सेना ने सतर्कता व चौकसी और बढ़ा दी है। गश्त भी बढ़ाई गई है। जवानों को एलएसी पर मुस्तैदी के साथ गलवां घाटी, पैंगोंग झील और आस-पास के इलाकों में लगातार गश्त करने व किसी भी प्रकार की संदिग्ध हलचल पर उसका प्रतिवाद करने को कहा गया है।
इसके साथ ही नाइट पेट्रोलिंग भी तेज कर दी गई है। सूत्रों ने बताया कि लद्दाख में जवानों की तैनाती बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। गलवां में तनाव बढ़ने के बाद ऑर्टिलरी ताकत भी बढ़ाई गई है। इसके तहत श्रीनगर से कई बोफोर्स टैंक व तोप को लद्दाख में भेजकर तैनात किया गया है।
इस बीच सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक भारतीय सेना ने एलएसी पर चीन की सेना और उसकी हरकतों का मुकाबला करने के लिए लद्दाख में तैनात सुरक्षाबलों को आपातकालीन शक्तियां दी हैं। बता दें कि गलवां घाटी में सोमवार रात चीन के सैनिकों के साथ हिंसक टकराव में भारतीय सेना के सीओ रैंक के एक अधिकारी समेत 20 जवान शहीद हो गए।
देर रात सेना से 20 जवानों के शहीद होने की पुष्टि की। सीमा पर हुए खूनी संघर्ष में चीन के 43 सैनिक हताहत हुए हैं। इनमें मृतक और गंभीर रूप से घायल चीन के सैनिक शामिल हैं।
चीन सीमा पर 45 साल बाद इस तरह की हुई यह पहली घटना है। इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंग ला में संघर्ष हुआ था जिसमें चार जवान शहीद हुए थे।