दो हफ्तों में सेब सीजन शुरू होने वाला है, लेकिन कोरोना महामारी के बीच मजदूरों की व्यवस्था नहीं हो पाई है। मजदूर नहीं पहुंचे तो सेब पेड़ों पर सड़ जाएगा। नेपाली मजदूरों की व्यवस्था करने के सरकार के बयान स्वागत योग्य हैं, लेकिन तुरंत जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। फेडरेशन ऑफ एप्पल ग्रोअर्स हिमाचल प्रदेश की विशेष बैठक में मजदूरों की व्यवस्था न होने पर चिंता जताई।
फेडरेशन के संयोजक राजीव चौहान की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कोरोना वायरस के दौर में सेब सीजन के दौरान पेश आ रही समस्याओं पर चर्चा कर सरकार को सुझाव दिए। फेडरेशन ने सरकार से अपील है कि मजदूरों की व्यवस्था के लिए प्रशासन लिखित दिशा-निर्देश जारी करे। बैठक में प्रदेश भर से बागवान संघों के पदाधिकारी मौजूद रहे।
ये हैं सेब बागवानों की मांगें सरकार ऐ ग्रेड सेबों का मूल्य तय करें जैसा गत वर्ष कश्मीर में किया था
एमआईएस समर्थन मूल्य के तहत खरीदे जाने वाले सेब का मूल्य 15 रुपये प्रतिकिलो हो
गत वर्ष की बकाया राशि का भुगतान हो
इस वर्ष की खरीद का नकद भुगतान 3 माह में बागवानों के खातों में हो
मौसम पर आधारित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बागवानों को लाभ मिले
ट्रे की कीमतों में कंपनियों की ओर से 70 से 150 रुपये तक की बढ़ोतरी की जांच उच्च स्तरीय कमेटी करे
कीटों की रोकथाम के लिए इस्तेमाल होने वाली 27 सस्ती जेनेरिक दवाएं प्रतिबंधित न हों
जैसे एक-दूसरे की गेहूं काटकर मदद की, वैसे बागवान कर सकते हैं आपस में मदद
लॉकडाउन के दौरान जिस तरह किसानों ने एक-दूसरे की गेहूं काटने में मदद की, वैसे ही बागवान भी सेब तुड़ान में आपस में मदद कर सकते हैं।
हिमाचल में करीब 5000 करोड़ का होता है कारोबार
हिमाचल में करीब 4500 से 5000 करोड़ रुपये सेब का कारोबार होता है। हालांकि इस बार मौसम की मार और कोरोना के चलते कारोबार आधा ही होने की आशंका है। पिछले साल करीब पौने चार करोड़ पेटी सेब निकला था, जो कि इस बार दो करोड़ पेटी ही निकलने के आसार हैं, क्योंकि गर्मियों में जारी रही ठंड ने फ्लावरिंग और ओलों ने सेटिंग पर विपरीत असर डाला है।