अयोध्या उत्तर प्रदेश में 1956 में लागू हुए गोवध निवारण अधिनियम में बदलाव कर सजा को और सख्त करने के योगी सरकार के फैसले का विश्व परिषद के प्रवक्ता वा श्रीराम गौशाला समिति के सहप्रबन्धक शरद शर्मा ने स्वागत करते हुये कहा कि योगी कैबिनेट के निर्णय से गौ हत्यारों मे जहां भय स्थापित होगा वहीं इससे गौ संरक्षण संवर्धन को बल भी प्राप्त होगा।
ज्ञातव्य हो बुधवार को प्रातः प्रदेश की योगी सरकार की कैबिनेट ने गो वध निवारण अधिनियम मे संशोधन करते हुये इसे पारित कर दिया है।पूर्व मे इस अधिनियम मे सात वर्ष तक के कारावास को आधार बनाकर गोकश जमानत पर रिहा न हो सकें, इसलिए कारावास को बढ़ाकर अधिकतम दस वर्ष, जबकि जुर्माने को तीन से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक कर दिया गया है। यही नहीं, अब राज्य में गोकशी और गोतस्करी से जुड़े अपराधियों के फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पा किए जाएंगे।
अपनी प्रतिक्रिया मे शरद शर्मा ने कहा गौ वंश हत्या महापाप है।साधु संतो और गौ सेवकों ने हत्यारों को फांसी की सजा दिये जाने की मांग सदैव उठाई है।आज उत्तर प्रदेश सरकार ने इस ओर सख्त कदम बढ़ाकर गौ भक्तों की भावनाओ का सम्मान किया है।हम सभी को विश्वास है कि एक ना एक दिन गोभक्त सरकार गौ हत्यारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने का कानून भी बना देगी।
उन्हो ने कहा अधिनियम मे संशोधन किये जाने से गौ पालकों मे गौ सेवा संरक्षण संवर्धन के प्रति आत्मीयता का भाव और अधिक गतिशील होगा।इसके साथ ही कृषि क्षेत्र को भी इससे बल मिलेगा।
उन्हो ने कहा अभी तक पूर्व की सरकारों ने तुष्टिकरण के कारण इस ओर कभी भी ध्यान केंद्रित नही किया आज भाजपा शासित राज्यों मे इस गंभीर विषय को गंभीरता से निर्णय हो रहा है। उन्हो ने कहा सरकारे अपने कर्त्तव्य के प्रति संवेदनशील हैं,लेकिन हमे भी इस ध्यान केंद्रित करना होगा।यदि हम मानव ईश्वर द्वारा प्रदत्त वरदान ‘गौ के आशीर्वाद से स्वस्थ व सुखी रहना चाहते हैं तो गाय के दूध, घी आदि का ही खाने-पीने तथा हवन-पूजन आदि में प्रयोग करें और डेयरियों आदि स्थानों पर गौ-उत्पाद की माँग करें । एलोपैथिक दवाओं की गुलामी छोडकर गौ-चिकित्सा का लाभ लें । निरोग रहने के लिए गोमूत्र व गोमय (गोबर के रस) से बनी औषधियों का सेवन करें ।
उन्हो ने कहा गौ वंश की रक्षा के लिए जिनके पास गाय रखने की जगह हो वे कम-से-कम एक देशी गाय अवश्य पालें । जो गाय नहीं पाल सकते हों वे देशी गाय को रोज गोग्रास खिलायें । सम्भव हो वे गौरक्षा हेतु गौशालाओं का निर्माण करें । गोचर-भूमि की रक्षा करें तभी गौ संरक्षण संवर्धन का व्यापक रूप धारण करेगा।