शुक्रवार यानी 5 जून को साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है, जो भारत में भी देखा जा सकेगा. इस साल का पहला चंद्रग्रहण 10 जनवरी को लगा था.
ये चंद्रगहण 5 जून रात 11 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और 6 जून, शनिवार को 2 बजकर 34 मिनट पर ख़त्म होगा. बताया जा रहा है कि 12 बजकर 54 मिनट में ग्रहण का प्रभाव सबसे ज़्यादा रहेगा
इसे भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में देखा जा सकेगा.
आज रात होने जा रहा चंद्रग्रहण पीनम्ब्रल यानी उप छाया ग्रहण है. यानी पृथ्वी की मुख्य छाया के बाहर का हिस्सा चांद पर पड़ेगा जिससे उसकी चमक फीकी सी पड़ जाएगी.
टीवी वेंकटेश्वरन के मुताबिक़, पहले ये समझना ज़रूरी है कि दो तरह की छाया होती है. कोई भी वस्तु जो प्रकाश को रोकती है, वो दो तरह की छाया उत्पन्न करेगी. एक जो अंधेरी और घनी होगी, उसे अम्ब्रल छाया कहते हैं. दूसरी वो जो हल्की और फैली हुई होगी, उसे पीनम्ब्रल कहते हैं.
इन दोनों के बीच का अंतर है: अगर आप अम्ब्रल क्षेत्र में खड़े हैं, तो पूरा प्रकाश स्रोत कवर हो जाएगा. लेकिन अगर आप पीनम्ब्रल क्षेत्र में खड़े हैं, तो पूरे प्रकाश स्रोत कवर नहीं होगा.
एक चंद्रग्रहण इस साल की शुरुआत में 10 जनवरी को लगा था, उसके बाद 5 जून को लगने जा रहा है.
आज होने वाले चंद्रग्रहण के बाद 5 जुलाई और 30 नवंबर को भी चंद्रग्रहण देखा जा सकेगा. इसके अलावा एक सूर्यग्रहण 21 जून होगा और दूसरा 14 दिसंबर को.
सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया से छिप जाता है. यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों.
पूर्णिमा के दिन जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है. इससे चंद्रमा के छाया वाला भाग अंधकारमय रहता है.
जब हम इस स्थिति में धरती से चांद को देखते हैं तो वह भाग हमें काला दिखाई पड़ता है. इसी वजह से इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है.