सुबह के क़रीब साढ़े दस बज रहे थे. बुधवार का दिन था. मैं घर पर ही काम कर रही थी. तभी अचानक बम धमाके जैसी आवाज़ सुनी. मैं काफी डर गई थी. वैसे भी मैं लो-बीपी (निम्न रक्तचाप) की मरीज़ हूं. मैंने बाहर निकल कर देखा ऑयल फील्ड से काला धुआं निकल रहा था. तभी कई लोग घर से बाहर निकल कर चिल्लाने लगे. गांव में अफरा-तफरी मच गई. हम सब लोग ऑयल फील्ड से दूर भागे. एक पल के लिए लगा कि सब मारे जाएंगे. पूरे इलाके में तेल की बारिश जैसी हो रही थी.”
36 साल की लाबोइनया सैकिया अपने घर के पास मौजूद ऑयल फील्ड से हुई गैस रिसाव की घटना को याद कर आज भी डर जाती है.
असम के तिनसुकिया ज़िले के बाघजान गांव में मौजूद ऑयल इंडिया लिमिटेड के एक तेल के कुएं से हो रहे गैस रिसाव को पांच दिन हो गए है लेकिन इसे अबतक नियंत्रित नहीं किया जा सका है. लाबोइनया सैकिया का घर बाघजान में ऑयलफील्ड के बिलकुल पास है और गैस रिसाव की इस घटना के बाद प्रशासन ने दो किलोमीटर के दायर में बसे पूरे गांव को खाली करवा लिया है.
तिनसुकिया ज़िला प्रशासन की एक जानकारी के अनुसार गैस रिसवा वाले दिन से बाघजान गांव के क़रीब दो हज़ार लोगों को स्कूल में बने शिविरों में रखा जा रहा है. ज़िला प्रशासन ऑयल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से गांव वालों के लिए खाने-पीने की सारी व्यवस्था करने में जुटा है.
दरअसल ऑयल इंडिया लिमिटेड के तेल के कुएं से हो रही गैस रिसाव की घटना बीते बुधवार सुबह की है लेकिन पांच दिन बीत जाने के बाद भी इस रिसाव को नियंत्रण करने में जुटी संकट प्रबंधन टीम और बाहर से आए विशेषज्ञ अबतक सफल नहीं हो पाए हैं.
ऑयल इंडिया लिमिटेड के प्रवक्ता त्रिदीप हज़ारिका ने बीबीसी से कहा, “हमारी टीम और बाहर से आए विशेषज्ञ गैस रिसाव को नियंत्रण करने से जुड़े काम में लगे हुए हैं और आने वाले बुधवार को हम एक अंतिम प्रयास करेंगे. यह एक तरह से पहला प्रयास होगा. हमारी ऑयल इंडिया की टीम के अलावा ओएनजीसी से आठ विशेषज्ञ आए हैं जो बीते तीन-चार दिनों से इस काम में लगे हैं. हमें लग रहा है कि इस काम में जल्द ही सफलता मिलेगी. अगर ख़ुदा न खास्ता हमें ज़रूरत पड़ी तो तीन अमरीकी विशेषज्ञों से भी संपर्क किया जा रहा है. इस काम में सरकार पूरी मदद कर रही है.”
ऑयल इंडिया लिमिटेड के प्रवक्ता कहते हैं, “पर्यावरण को हुए नुकसान से जुड़ी तमाम बातों को हमारे अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के समक्ष रखा गया है. वे अभी यहां आए हुए हैं. फिलहाल हमारी कंपनी की तरफ़ से गांव वालों की भी पूरी मदद कर रहे हैं. लोगों को शिविरों में अच्छी व्यवस्था के तहत रखा गया है. इसके अलावा एनडीआरएफ को बुलाया गया है वे लोगों की देखभाल करेंगे.”