बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) का बकाया अप्रैल, 2021 में एक साल पहले की तुलना में 11.2 प्रतिशत घटकर 81,628 करोड़ रुपये रह गया।
अप्रैल, 2020 तक डिस्कॉम पर बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 91,915 करोड़ रुपये था। पेमेंट रैटिफिकेशन एंड एनालिसिस इन पावर प्रोक्यूरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपैरेंसी इन इन्वॉयसिंग ऑफ जेनरेशन (प्राप्ति) पोर्टल से यह जानकारी मिली है।
डिस्कॉम पर बिजली उत्पादकों का बकाया सालाना के साथ माह-दर-माह आधार पर लगातार बढ़ा है, जो क्षेत्र में दबाव का संकेत देता है। हालांकि, मार्च, 2021 में इसमें कुछ कमी आनी शुरू हुई थी।
अप्रैल में डिस्कॉम पर जेनको का बकाया मार्च की तुलना में बढ़ा है। मार्च में यह 78,841 करोड़ रुपये रहा था। मार्च में डिस्कॉम पर कुल बकाया पिछले साल के समान महीने की तुलना में 3.4 प्रतिशत घटा। पिछले साल मार्च में यह 81,687 करोड़ रुपये रहा था।
बिजली उत्पादकों तथा डिस्कॉम के बीच बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए प्राप्ति पोर्टल मई, 2018 में शुरू किया गया था।
अप्रैल, 2021 तक 45 दिन की मियाद या ग्रेस की अवधि के बाद भी डिस्कॉम पर कुल बकाया राशि 68,732 करोड़ रुपये थी। यह एक साल पहले 76,117 करोड़ रुपये थी। पोर्टल के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मार्च में डिस्कॉम पर कुल बकाया 67,656 करोड़ रुपये था।
बिजली उत्पादक कंपनियां डिस्कॉम को बेची गई बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए 45 दिन का समय देती हैं। उसके बाद यह राशि पुराने बकाये में आ जाती है। ज्यादातर ऐसे मामलों में बिजली उत्पादक दंडात्मक ब्याज वसूलते हैं। बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत के लिए केंद्र ने एक अगस्त, 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था के तहत डिस्कॉम को बिजली आपूर्ति पाने के लिए साख पत्र देना होता है।
केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को भी कुछ राहत दी है। कोविड-19 महामारी की वजह से डिस्कॉम को भुगतान में देरी के लिए दंडात्मक शुल्क को माफ कर दिया था। सरकार ने मई में डिस्कॉम के लिए 90,000 करोड़ रुपये की नकदी डालने की योजना पेश की थी। इसके तहत बिजली वितरण कंपनियां पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन तथा आरईसी लिमिटेड से सस्ता कर्ज ले सकती हैं। बाद में सरकार ने इस पैकेज को बढ़ाकर 1.2 लाख करोड़ रुपये और उसके बाद 1.35 लाख करोड़ रुपये कर दिया।
तरलता पैकेज के 80,000 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है।
आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है। भुगतान की मियाद की अवधि समाप्त होने के बाद अप्रैल, 2021 तक डिस्कॉम पर कुल बकाया 68,732 करोड़ रुपये था। इसमें स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का हिस्सा 53.04 प्रतिशत है। वहीं, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की जेनको का बकाया 30.52 प्रतिशत है।
सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अकेले एनटीपीसी को ही डिस्कॉम से 5,167.11 करोड़ रुपये वसूलने हैं। दामोदर वैली कॉरपोरेशन का बकाया 5,156.34 करोड़ रुपये, एनएलसी इंडिया का बकाया 3,416.18 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 2,261.05 करोड़ रुपये और टीएचडीसी इंडिया का बकाया 1,134.17 करोड़ रुपये है।
निजी बिजली उत्पादक कंपनियों में अडाणी पावर का बकाया 18,608.11 करोड़ रुपये, बजाज समूह की ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी का 4,817.12 करोड़ रुपये, एसईएमबी (सेम्बकॉर्प) का 2,364.56 करोड़ रुपये है।
वहीं गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों का बकाया 11,296.24 करोड़ रुपये है।