कोरोनावायरस महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन का असर गुरुवार को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई पर देखने को मिला। सीबीआई की विशेष अदालत में आरोपियों के वकील ने दलील दी कि लॉकडाउन के चलते सभी लोगों से संपर्क नहीं हो पाया। इसलिए स्थगन आदेश दिया जाए, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए चार जून नई तारीख दी है। दरअसल, गुरुवार को विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी समेत 32 आरोपियों को गवाही के लिए तलब किया था।
49 आरोपी बनाए गए थे, 32 बचे जीवित
28 साल पहले हुए बाबरी विध्वंस केस में छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में थाना राम जन्मभूमि में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच करते हुए 49 आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले में पूर्व गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पवन कुमार पांडेय, बृजभूषण शरण सिंह, सतीश प्रधान, विनय कटियार, साध्वी ऋतभरा, राम विलास वेदांती, चंपत राय, नृत्यगोपाल दास, लल्लू सिंह, महंत धर्मदास, साक्षी महाराज, आरएन श्रीवास्तव आरोपियों में शामिल हैं। आरोपियों में 32 जीवित हैं, जबकि 19 की मौत हो चुकी है। मामले में सीबीआई की तरफ से बुधवार को गवाही पूरी हो चुकी है। जबकि, आरोपियों की गुरुवार को सीआरपीसी की धारा- 313 के तहत गवाही होनी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक फैसला सुनाने का निर्देश दिया था
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में मुकदमे को 31 अगस्त तक पूरा करने का आदिश दिया था। इससे पहले इस मामले में अप्रैल माह तक फैसला सुनाया जाना था। ट्रायल न्यायाधीश एस यादव ने छह मई को शीर्ष अदालत को पत्र लिखकर समय बढ़ाने की मांग की थी। जिसमें कहा गया था कि, साक्ष्य की रिकॉर्डिंग अभी पूरी नहीं हुई है।