दरअसल, लंबे लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा, तो भारत अगले सोमवार यानी 3 मई से लॉकडाउन खोल सकता है। लोग काम पर लौट सकते हैं। भले ही स्कूल, कॉलेज, बार, सिनेमाघर फिलहाल न खुले, लेकिन उन दुकानों का ताला खुल सकता है, जो प्राथमिक सेवाओं के भीतर आते हो और भीड़ भी इकट्ठी नहीं होती। विशेषज्ञों की माने तो अगर इसी तरह हालात बने रहे तो अर्थव्यवस्था टूट सकती है।
दरअसल, आने वाले समय में कोरोना संक्रमण और फैलने की आशंका है। यदि 3 मई को लॉकडाउन हटा दिया जाता है तो भारत में वुहान मॉडल को अपनाना होगा, जहां 1 करोड़ 10 लाख की आबादी के लिए पांच सदस्यों वाली 1800 टीम बनाई गई थी, जो जमीनी स्तर पर जाकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों को चिन्हांकित करती थी। भारत में सरकार Aarogya Setu मोबाइल एप को बढ़ावा दे रही है, लेकिन न तो इसके पर्याप्त उपयोगकर्ता है और न ही इससे मरीजों की पुष्टि हो पाएगी।
कोरोना को खत्म करने का सबसे आसान उपाय है, अधिकतम टेस्ट। जितने ज्यादा परीक्षण होंगे, हमें इस बीमारी के संक्रमण के बारे में उतना सही अंदाजा हो पाएगा। एक रिपोर्ट की माने तो अमेरिका में रोजाना 2 करोड़ 20 लाख टेस्ट करने को कहा गया है, इसके पीछे उनका मकसद कई बार पूरी आबादी को कोविड-19 के टेस्ट से गुजारना है ताकि कहीं कोई छूट न जाए। क्या भारत रोजाना 10 लाख टेस्ट के लिए भी तैयार है? हमारे देश में अपर्याप्त परीक्षण के कारण ही वायरस इतनी जल्दी फैल गया। यदि हम केवल लक्षणों वाले रोगियों का परीक्षण करते हैं तो हम इसे रोक नहीं सकते। ICMR का कहना है कि 69% कोरोना पॉजिटिव भारतीयों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं इसका मतलब साफ है कि हाउसिंग सोसाइटी, बाजार, हर उस जगह हमें जाकर टेस्ट करना होगा, जहां थोड़ी भी भीड़ जुटेगी तभी हम कोविड-19 के खिलाफ जीत सकते हैं।
वायरस भीड़ भरे बाजारों, बसों और ट्रेनों से प्यार करता है और यही हमारे सामान्य जीवन का हिस्सा है। ऐसे में अगर लॉकडाउन खत्म होता है तो किन शर्तों और पाबंदियों के साथ आम नागरिक को छूट मिलती है यह देखने वाली बात होगी। मगर बाहर निकलने से पहले मास्क पहनना, समय-समय पर हाथ धोना, अपने तापमान की जांच करते रहना। सामाजिक दूरी बनाए रखना हमें अपनी आदत में शूमार करना होगा। हर उस जगह जाने से बचना होगा, जहां भीड़ इकट्ठी होने की उम्मीद हो सकती है, क्योंकि इस वक्त हमारी सजगता ही हमारी सबसे अच्छी दोस्त है।
देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में दिल्ली भी शामिल है और यहां मामले लगातार बढ़ रहे हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि अगर लॉकडाउन नहीं होता तो ऐसे मामले 50 गुना या 100 गुना ज्यादा होते। कोरोना से मरीजों को ठीक होने में पूरे 28 दिन लगते हैं। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री आश्वस्त नारायण लॉकडाउन कहते हैं कि पहली प्राथमिकता जिंदगी बचाना ही है, इसे चरणों में हटाया जाना चाहिए। लोगों की आजीविका पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।