मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने बताया कि यह दोनों बिल्डिंग पहले मुख्तार की मां के नाम पर थी। गलत तरीके से रजिस्ट्री कराई गई थी। मूलतः यह निष्क्रांत संपत्ति यानी 1956 से पहले पाकिस्तान गए लोगों की है। इसमें बार-बार चेतावनी देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने पर इसे तोड़ने की कार्रवाई की गई है। प्रशासन बिल्डिंग के तोड़ने का खर्चा, अब तक का किराया भी वसूलेगी। इस निर्माण के लिए जिम्मेदार रहे तत्कालीन अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
सूत्रों के मुताबिक, यह सम्पत्ति पहले किसी महिला राबिया के नाम पर थी। उसके बाद मुख्तार अंसारी के दोनों बेटों अब्बास और उमर अंसारी के नाम ट्रांसफर कर दी गई। शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर बनाई गई दो मंजिला इमारत के खिलाफ एलडीए संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने 11 अगस्त को ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया था।
गेट का ताला तोड़कर और वहां बने निर्माण से सामान निकाल कर पुलिस ने कार्रवाई की है। बताया जा रहा टावर के मकान में कोई रह नहीं रहा था। लेकिन कुछ सामान रखा था, जिसे टीम ने उठाकर घर के बाहर फेंक दिया।