सीएसआईआर द्वारा विकसित कोविड-19 प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों का एक कंपेन्डियम जारी किया
कंपेन्डियम में 100 से अधिक प्रौद्योगिकियों को कवर किया गया है, 93 उद्योग साझीदार सूचीबद्ध किए गए हैं तथा इनमें से 60 से अधिक प्रौद्योगिकियों को उद्योग को अंतरित कर दिया गया है
डीबीटी एवं सीएसआईआर के भारतीय वैज्ञानिकों ने 1000 से अधिक सार्स-सीओवी-2 वायरल जीनोमों को सेक्वेंस किया है जो इसे देश में सबसे बड़ा प्रयास बनाता है। उन्होंने कहा कि, ‘ यह भारत में व्याप्त स्ट्रेनों एवं म्यूटेशन स्पेक्ट्रम को समझने में मदद करेगा जिससे नैदानिकों, औषधियों एवं टीकों में सहायता मिलेगी।’
डॉ. हर्ष वर्धन आज यहां एक कार्यक्रम में सीएसआईआर द्वारा विकसित कोविड-19 प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों का एक कंपेन्डियम जारी करने के दौरान बोल रहे थे। कंपेन्डियम में प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों की नैदानिकी से लेकर दवाओं तक एवं वेंटिलेटर तथा पीपीई तक 100 से अधिक प्रौद्योगिकियों, सूचीबद्ध 93 उद्योग साझीदारों के साथ व्यापक रेंज को कवर किया गया है तथा इनमें से 60 से अधिक प्रौद्योगिकियों को उद्योग को अंतरित कर दिया गया है।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि, ‘अल्प समय में विकसित प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों का पार्टफोलियो सीएसआईआर वैज्ञानिकों की क्षमताओं का सबूत है और ये भी कि वे सर्वाधिक कठिन परिस्थितियों में भी परिणाम दे सकते हैं। ‘ उन्होंने सीएसआईआर के वैज्ञानिकों, छात्रों एवं कर्मचारियों को इतनी कठिन परिस्थिति में इतने कम समय में प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों को विकसित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि ‘सीएसआईआर द्वारा संकलित कंपेंडियम एक ही स्थान पर प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों को अधिकृत करता है तथा उद्योग एवं अन्य एजेन्सियां को जो कोविड-19 के लिए समाधान ढूंढ रहे हैं, उन्हें आसानी से मदद कर सकते हैं।’
मंत्री ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि, ‘ सीएसआईआर ने टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाने से लेकर नोवल नैदानिकी विकसित करने तथा उद्योग के साथ साझीदारी में रोगियों को किफायती रिपर्पस्ड दवाओं को उपलब्ध कराने के विभिन्न मोर्चों पर कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में उल्लेखनीय योगदान दिया है। ‘ इसके अतिरिक्त, सीएसआईआर ने वेंटिलेटर एवं पीपीई जैसे अस्पताल के लिए सहायक उपकरणों, जिनकी महामारी के दौरान शुरुआत में कमी महसूस की जा रही थी, का विकास किया है।’ उन्होंने कहा कि ‘अब सीएसआईआर ने एक कंपेडियम का संकलन किया है जो कोविड-19 महामारी को कम करने के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों एवं ज्ञान को अधिकृत करता है।’
डॉ. हर्ष वर्धन ने उद्योग के साथ साझीदारी में सबसे पहले रोगियों को कोविड-19 के खिलाफ रिपर्पस्ड दवाओं जैसे कि सिप्ला की फैविपिरावीर, उपलब्ध कराने में सीएसआईआर की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रकार के प्रयास दवाओं को किफायती बनाने के जरिये कोविड-19 के रोगियों को लाभ पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि, ‘ सीएसआईआर- आईआईसीटी ने स्थानीय रूप से उपलब्ध रसायनों का उपयोग करते हुए फैविपिरावीर के एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) के लिए किफायती सिंथेटिक प्रोसेस प्रौद्योगिकी का विकास किया है और प्रौद्योगिकी को सिप्ला को अंतरित कर दिया है जिसने इस प्रौद्योगिकी के आधार पर इसे तेज किया और दवा का विनिर्माण किया।’
मंत्री ने सीएसआईआर-एनएएल के योगदान की भी सराहना की, जिसकी विशेषज्ञता हालांकि उड्डयन में है, फिर भी उसने इस चुनौती को स्वीकार किया तथा 36 दिनों के कम समय में एक नॉन-इनवैसिव बीआईपीएपी वेंटिलेटर स्वस्थ वायु का विकास किया। डॉ. हर्ष वर्धन ने वैज्ञानिक समुदाय से एक साथ मिल कर आवश्यकता की इस घड़ी में नए नवोन्मेषणों, प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों का विकास करने का आग्रह किया क्योंकि केवल एसएंडटी ही इस महामारी से उबरने में मदद कर सकता है तथा ‘आत्म-निर्भर भारत’ की आकांक्षाओं को भी पूरा कर सकता है। उन्होंने यह भी नोट किया कि सीएसआईआर ने सप्लाई चेन तथा फ्रेट ट्रांसपोर्टशन मैनेजमेंट सिस्टम से किसानों को जोड़ने के लिए एक वन स्टॉप सॉल्यूशन किसान सभा का विकास किया है और अभी तक 60,000 से अधिक डाउनलोड कर लिये जाने की रिपोर्ट है। यह कई क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है तथा किसानों को सीधे मंडियों से जोड़ता है।
सीएसआईआर के डीजी डॉ. शेखर सी. मांडे ने कहा कि सीएसआईआर ने न केवल टाटा संस, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे बड़े उद्योगों के साथ साझीदारी की है बल्कि जल्द से जल्द प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों की तैनाती के लिए भेल एवं बीईएल जैसे पीएसयू एवं एमएसएमई के साथ भी साझीदारी की है। इसके अतिरक्त, उन्होंने रेखांकित किया कि सीएसआईआर ने एक कोविड-19 पोर्टल का विकास किया है जो यूजर्स के लिए आसानी से खोज करने योग्य प्रारूप में इन प्रौद्योगिकियों को अधिकृत करता है।