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केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने डिजिटल शिक्षा पर “भारत रिपोर्ट-2020” जारी की

ब्यूरो पब्लिकन्यूज़360 by ब्यूरो पब्लिकन्यूज़360
3 years ago
in देश
CBSE ने 12 वीं के नतीजे घोषित किए, इस बार टॉपर के नामों का ऐलान नहीं
रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों द्वारा घर पर बच्चों के लिए सुलभ और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने और उनके सीखने के क्रम में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अपनाए गए अभिनव तरीकों की विस्तृत व्याख्या करती है – “निशंक”

    Glad to launch India Report on #DigitalEducation, 2020 today. The report elaborates on the innovative methods adopted by Education Departments of States and Union Territories for ensuring accessible and inclusive #education to children at home and reducing learning gaps. pic.twitter.com/EuCz2TAXtu

    — Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 28, 2020


    htरिपोर्ट के अनुसार सरकार ने शिक्षा को एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित किया गया है जिसका लक्ष्य प्री-नर्सरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं तक स्कूलों के व्यापक स्पेक्ट्रम में डिजिटल शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना है। गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा ने वैश्वीकरण के वर्तमान संदर्भ में एक नई प्रासंगिकता हासिल कर ली है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षकों, विद्वानों और छात्रों को सीखने की उनकी ललक में मदद करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि “दीक्षा मंच”, “स्वयं प्रभा टीवी चैनल”, ऑनलाइन एमओओसी पाठ्यक्रम, ऑन एयर– “शिक्षा वाणी”, दिव्यांगों के लिए एनआईओएस द्वारा विकसित “डेजी, ई-पाठशाला”, “ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज (एनआरओईआर) की राष्ट्रीय रिपोजिटरी”, टीवी चैनल, ई-लर्निंग पोर्टल, वेबिनार, चैट समूह और पुस्तकों के वितरण सहित राज्य/केन्द्र शासित सरकारों के साथ अन्य डिजिटल पहल।

    रिपोर्ट में प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक”, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, श्री संजय धोत्रे और स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव, एमएचआरडी, श्रीमती अनीता करवाल के संदेश हैं। रिपोर्ट को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों के परामर्श से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के डिजिटल शिक्षा प्रभाग द्वारा तैयार किया गया है।

    इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों ने छात्रों के द्वार पर डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य भी किया है। छात्रों से जुड़ने के लिए कुछ प्रमुख माध्यमों के रूप में सोशल मीडिया टूल जैसे व्हाट्सएप ग्रुप, यू ट्यूब चैनल, आनलाइन कक्षाएं, गूगल मीट, स्काइप के साथ ई-लर्निंग पोर्टल, टीवी (दूरदर्शन और क्षेत्रीय चैनल), रेडियो और दीक्षा का उपयोग किया गया जिसमें दीक्षा का उपयोग सभी हितधारकों की सबसे प्रमुख पसंद थी।

    राज्य सरकारों द्वारा की गई कुछ प्रमुख डिजिटल पहल में राजस्थान में “स्माइल” (सोशल मीडिया इंटरफेस फॉर लर्निंग एंगेजमेंट), जम्मू में “प्रोजेक्ट होम क्लासेस”, छत्तीसगढ़ में “पढ़ाई तुहार दुवार” (आपके द्वार पर शिक्षा), बिहार में “उन्नयन” पहल पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से शिक्षा, दिल्ली में एनसीटी का अभियान “बुनियाद”, केरल का अपना शैक्षिक टीवी चैनल (हाई-टेक स्कूल प्रोग्राम), “ई-विद्वान पोर्टल” और साथ ही मेघालय में शिक्षकों के लिए मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम शामिल हैं। तेलंगाना में कोविड संकट के दौरान शिक्षकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ऑनलाइन सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है।

    कुछ राज्यों ने दूरस्थ शिक्षा की सुविधा के लिए नवीन मोबाइल ऐप और पोर्टल लॉन्च किए हैं। मध्य प्रदेश ने टॉप पैरेंट ऐप लॉन्च किया है, जो एक नि:शुल्क मोबाइल ऐप है जो छोटे बच्चों के माता-पिता (3-8 साल) को बाल विकास के ज्ञान और व्यवहारों की सीख देता है ताकि उन्हें अपने बच्चों के साथ सार्थक जुड़ाव बनाने में मदद मिल सके। केएचईएल (इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग के लिए नॉलेज हब), एक गेम आधारित एप्लीकेशन भी शुरू किया गया है, जो कक्षा एक से लेकर कक्षा 3 तक के छात्रों के लिए है। उत्तराखंड “संपर्क बैंक ऐप” का उपयोग कर रहा है, जिसके माध्यम से प्राथमिक स्कूल के छात्र एनिमेटेड वीडियो, ऑडिओ, वर्कशीट, पहेलियों आदि का उपयोग कर सकते हैं। असम ने कक्षा 6 से 10. के लिए “बिस्वा विद्या असम मोबाइल एप्लिकेशन” लॉन्च किया है। बिहार ने कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए ई-पुस्तकों के साथ “विद्यावाहिनी ऐप” लॉन्च किया है। “उन्नयन बिहार पहल” के तहत बिहार सरकार ने छात्रों के लिए “मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय” शुरू किया है। इसी तरह शिक्षकों के लिए “उन्नयन बिहार” के तहत शिक्षक ऐप शुरू किया गया है। चंडीगढ़ ने कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के सीखने के परिणाम का आकलन करने के लिए “फीनिक्स मोबाइल एप्लिकेशन” लॉन्च किया है। महाराष्ट्र ने राज्य में छात्रों के लिए “लर्निंग आउटकम स्मार्ट क्यू मोबाइल ऐप” लॉन्च किया है। पंजाब ने कक्षा 1 से 10 तक के लिए आई स्कूएला लर्न मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। “सिक्किम एडुटेक ऐप” राज्य शिक्षा विभाग के तहत सिक्किम के सभी स्कूलों को जोड़ता है। इसमें छात्रों, शिक्षकों और प्रशासनिक इकाइयों के साथ-साथ अभिभावकों को भी लॉगिन करने की सुविधा दी गई है। त्रिपुरा में छात्रों के मूल्यांकन की सुविधा के लिए ‘एम्पॉवर यू शिक्षा दर्पण’ नाम का एक एप्लिकेशन शुरू किया गया है। उत्तर प्रदेश ने 3-8 वर्ष की आयु के बच्चों को लक्षित करते हुए “टॉप पैरेंट ऐप” लॉन्च किया है। वर्तमान में बच्चों के लिए “चिंपल”, “मैथ्स मस्ती” और “गूगल बोलो” जैसे तीन बेहतरीन एडुटेक ऐप हैं।

    राज्य भी शिक्षा के एक माध्यम के रूप में व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रहे हैं और शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। “ओडिशा शिक्षा संजोग”- ओडिशा में एक व्हाट्सएप आधारित डिजिटल लर्निंग कार्यक्रम शुरू किया गया है जो एक सुव्यवस्थित तरीके से वर्ग समूहों के साथ ई-सामग्री साझा करता है। व्हाट्सएप के माध्यम से पंजाब और पुद्दुचेरी में भी ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। राजस्थान व्हाट्सएप का उपयोग “हवामहल- खुशनुमा शनिवार” कार्यक्रम के लिए कर रहा है, जहां छात्र कहानियों को सुनकर व्हाट्सएप के माध्यम से दिए गए निर्देशों के आधार पर खेल, खेल सकते हैं। मिशन प्रेरणा की ई-पाठशाला उत्तर प्रदेश में शिक्षकों और छात्रों के बीच संपर्क का एक व्हाट्सएप समूह है। हिमाचल प्रदेश ने तीन व्हाट्सएप अभियान शुरू किए हैं, जैसे, “करोना”, “थोड़ी मस्ती, थोड़ी पढ़ाई” और जहां राज्यों द्वारा ई-सामग्री की व्यवस्था की गई है ‘वहां हर घर पाठशाला’। छात्र इसकी मदद से अपने सवाल हल करते हैं और उस पर शिक्षक अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए, इस अभियान का नाम “हम किसी से कम नहीं- मेरा घर पाठशाला” रखा गया है। सामग्री को व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से साझा किया जा रहा है जिसके साथ विशेष शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।

    कई राज्यों को इंटरनेट के बिना कम तकनीकी रूपों के साथ शिक्षण और निर्देशन के लिए रचनात्मक उपायों को अपनाना पड़ा है। उदाहरण के लिए- अरुणाचल प्रदेश में, प्राथमिक कक्षा के छात्र ऑल इंडिया रेडियो, ईटानगर के माध्यम से अपनी मातृभाषा में दिलचस्प रेडियो वार्ताएँ प्राप्त कर रहे हैं। झारखंड के जिलों में क्षेत्रीय दूरदर्शन और उपलब्ध रेडियो स्लॉट के माध्यम से बच्चों को संबोधित करने वाले वास्तविक शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। स्थानीय टीवी चैनलों पर वर्चुअल कंट्रोल रूम के माध्यम से कक्षाओं को प्रसारित करने की पुद्दुचेरी की ऐसी ही पहल है। मणिपुर ने कक्षा 3 से 5 तक के छात्रों के लिए कॉमिक पुस्तकों की शुरुआत की है ताकि उन्हें मजेदार तरीके से अवधारणाओं को सीखने में मदद मिल सके। लद्दाख जैसे कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में भी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए ईएमबीआईबीई बैंगलोर गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है। वर्तमान समय में सामुदायिक जुड़ाव सबसे कठिन काम है ऐसे में स्थानीय और व्यक्तिगत संसाधनों का महत्व ज्यादा हो गया है। हरियाणा राज्य द्वारा क्विज प्रतियोगिताओं जैसी लोकप्रिय सुविधाएँ आयोजित की जाती हैं।

    दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने की चुनौतियों से निपटने के लिए, एनआईओएस और स्वयं प्रभा सामग्री उन बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जो इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं और जिनकी रेडियो और टीवी तक सीमित पहुंच है। नवोन्मेषी माध्यमों से सामग्री उपलब्ध कराने के लिए राज्यों की पहल समावेशी शिक्षा को सुनिश्चित कर रही है। उदाहरण के लिए- आंध्र प्रदेश ने महत्वपूर्ण विषयों को समझने और अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए छात्रों के लिए टोल फ्री कॉल सेंटर और टोल फ्री वीडियो कॉल सेंटर शुरू किया है। खराब मोबाइल कनेक्टिविटी और इंटरनेट सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण, छत्तीसगढ़ ने मोटर ई-स्कूल शुरू किया है। राज्य ने वीएफएस (वर्चुअल फील्ड सपोर्ट) के रूप में एक टोल फ्री नंबर भी शुरू किया है। झारखंड ने रोविंग शिक्षक की शुरुआत की है, जहां कई शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आते हैं। गुजरात ने जुबानी पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए- वंचन अभियान और बच्चों के लिए “मैलो-सलामत ए हंफैलो” (परिवार का घोंसला-सुरक्षित है) जैसा सामाजिक मनोवैज्ञानिक सहायता कार्यक्रम चलाया है। पश्चिम बंगाल ने भी छात्रों के लिए विशेष और समर्पित टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।

    सुदूर क्षेत्रों में समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति सही नहीं है राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भी बच्चों के घर पर पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया है। जिन राज्यों ने छात्रों तक पहुँचने के लिए यह पहल की है, ओडिशा, मध्य प्रदेश (दक्शता उन्नाव कार्यक्रम के तहत), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव आदि शामिल हैं। लक्षद्वीप ने छात्रों को ई-सामग्री से लैस टैबलेट वितरित किए हैं। नगालैंड ने छात्रों को नाममात्र की लागत पर डीवीडी/पेन ड्राइव के माध्यम से अध्ययन सामग्री वितरित की है। जम्मू और कश्मीर ने दृष्टिबाधित शिक्षार्थियों के लिए लैपटॉप और ब्रेल स्पर्श पठनीयता के साथ छात्रों को मुफ्त टैब वितरित किए हैं।

    डिजिटल शिक्षा पहल भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए मददगार बन रही है। गोवा ने राज्य में प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए एम्बाइब, एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सीखने, अभ्यास और परीक्षण के लिए ऑनलाइन मंच के साथ साझेदारी की है। कर्नाटक ने दूरदर्शन के माध्यम से एक परीक्षा तैयारी कार्यक्रम, और एक एसएसएलसी परीक्षा तैयारी कार्यक्रम शुरू किया है। एनईईटी परीक्षा की तैयारी करने वाले तमिलनाडु के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त छात्रों के लिए विस्तृत विश्लेषण के साथ ऑनलाइन अभ्यास परीक्षण उपलब्ध हैं।

    राज्यों द्वारा विविध आवश्यकताओं को पूरा करने की जरूरत, भाषा पर पूरा नियंत्रण रखने के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास भी सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए एनसीटी दिल्‍ली द्वारा उच्च कक्षाओं के लिए शिक्षा सामग्री तैयार की गई है। लॉकडाउन के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्राइमरी कक्षाओं के छात्रों को मजेदार तरीके से पढ़ाने के लिए ऐसी सेवाओं की एसएमएस/आईवीआर के माध्यम से व्यवस्था की जा रही है। इसी तरह तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्य भी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मध्य प्रदेश और गुजरात सक्रिय रूप से विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए समावेशी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस प्रकार से सभी राज्यों के शिक्षा विभाग मिलकर दूरस्थ शिक्षा के रास्ते में आने वाली ​मुश्किलों को दूर करने के लिए पूरी तरह समर्पित और प्रतिबद्ध हैं।tps://twitter.com/DrRPNishank/status/1288063410656116736?s=20 

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